महाभारत युद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य के धोखे से मारे जाने पर अश्वत्थामा बहुत क्रोधित हो गये।
Mithilesh
The Siphung : 09/04/2020
Ajmer : महाभारत युद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य के धोखे से मारे जाने पर अश्वत्थामा बहुत क्रोधित हो गये।
उन्होंने पांडव सेना पर एक बहुत ही भयानक अस्त्र "नारायण अस्त्र" छोड़ दिया।
इसका कोई भी प्रतिकार नहीं कर सकता था। यह जिन लोगों के हाथ में हथियार हो और लड़ने के लिए कोशिश करता दिखे उस पर अग्नि बरसाता था और तुरंत नष्ट कर देता था।
भगवान श्रीकृष्ण जी ने सेना को अपने अपने अस्त्र शस्त्र छोड़ कर, चुपचाप हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया और कहा मन में युद्ध करने का विचार भी न लाएं, यह उन्हें भी पहचान कर नष्ट कर देता है।
नारायण अस्त्र धीरे धीरे अपना समय समाप्त होने पर शांत हो गया।
इस तरह पांडव सेना की रक्षा हो गयी।
इस कथा प्रसंग का औचित्य समझें?
हर जगह लड़ाई सफल नहीं होती। प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए हमें भी कुछ समय के लिए सारे काम छोड़ कर, चुपचाप हाथ जोड़कर, मन में सुविचार रख कर एक जगह ठहर जाना चाहिए। तभी हम इसके कहर से बचे रह पाएंगे।
कोरोना Virus भी अपनी समयावधि पूरी करके शांत हो जाएगा।भगवान श्रीकृष्ण जी का बताया हुआ उपाय है, यह व्यर्थ नहीं जाएगा। 🙏